प्लास्टिक टनल (लो-टनल) योजना फॉर्म 2024: बागवानी फसलों को सर्दी से बचाने के लिए।लो प्लास्टिक टनल एक संरक्षित संरचना है।
जो मुख्य खेत में फसल बोने के बाद प्रत्येक फसल के बिस्तर को कम ऊंचाई पर प्लास्टिक शीट से ढककर बनाई जाती है। यह फसल को कम
तापमान से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए बनाया गया है।
हमने बताया कि लो टनल एक संरक्षित संरचना है, जिसे प्लास्टिक टनल भी कहा जाता है। इस तकनीक से विभिन्न फलों एवं सब्जियों का बेहतर उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।
पॉलीहाउस की तरह निचली सुरंग में कीड़ों और बीमारियों का खतरा नहीं रहता और न ही मौसम की मार से कोई नुकसान होता है।
लो-टनल एक ऐसी संरचना है जिसमें खेत में एक मीटर चौड़ी क्यारियाँ तैयार की जाती हैं। उन पर ड्रिप सिंचाई के लिए लाइनें बिछाई जाती हैं। बांस या पाइपों को मोड़कर अर्धचंद्राकार संरचनाएं बनाई जाती हैं।
इन तैयार क्यारियों पर लोहे के तारों से जोड़कर 75 से 110 सेमी की ऊंचाई पर अर्धचंद्राकार (अर्धवृत्ताकार) संरचना रखी गई।
प्लास्टिक टनल (लो-टनल) योजना के लिए अनुदान
अधिकतम 1000 वर्ग मीटर के लिए निर्धारित इकाई लागत अथवा विभाग द्वारा इस हेतु अनुमोदित फर्मों द्वारा प्रस्तुत दरों, जो भी कम हो, पर 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है।
लघु/सीमान्त श्रेणी के कृषकों को अधिकतम 4000 वर्ग मीटर भूमि हेतु निर्धारित इकाई लागत अथवा विभाग द्वारा इस हेतु अनुमोदित फर्मों द्वारा प्रस्तुत दरों, जो भी कम हो, पर 75 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है।
प्लास्टिक टनल (लो-टनल) योजना हेतु पात्रता
आवेदक के पास कृषि भूमि का स्वामित्व और सिंचाई स्रोत होना चाहिए।
प्लास्टिक टनल (लो-टनल) योजना के लिए आवेदन
- ई-मित्र केंद्र पर जाकर आवेदन किया जा सकता है।
- आवश्यक दस्तावेज, आधार कार्ड/जन आधार कार्ड, जमाबंदी की प्रति (छह माह से अधिक पुरानी नहीं), अनुमोदित फर्म का कोटेशन आदि।
प्लास्टिक टनल (लो-टनल) लगाने हेतु कुछ महत्वपूर्ण बिंदु
- उद्यानिकी विभाग द्वारा जारी प्रशासनिक स्वीकृति के बाद ही लो टनल का निर्माण किया जा सकेगा।
- सत्यापन गठित समिति द्वारा किया जा सकेगा।
- अनुदान राशि का भुगतान सीधे किसान के बैंक खाते में स्थानांतरित किया जाएगा।