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समय पर नहीं चुकाया लोन? जानें NPA का असर और इसके परिणाम

By Brala Vijendra

Published on:

समय पर नहीं चुकाया लोन? जानें NPA का असर और इसके परिणाम

समय पर नहीं चुकाया लोन? जानें NPA का असर और इसके परिणाम: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नियमों के अनुसार, अगर आपने किसी भी बैंक से लोन लेकर उसकी किस्तें 90 दिनों तक यानी तीन महीने तक नहीं चुकाई, तो उस लोन को NPA (नॉन-परफॉर्मिंग एसेट) घोषित कर दिया जाता है। अन्य वित्तीय संस्थाओं के मामले में यह सीमा 120 दिनों की होती है। NPA का बढ़ना किसी भी बैंक की सेहत के लिए अच्छा नहीं माना जाता, और यह कर्ज लेने वाले के लिए भी मुश्किलें खड़ी कर देता है। आइए जानें कि NPA कर्ज लेने वालों पर कैसे असर डालता है।

CIBIL रेटिंग पर प्रभाव 📉

यदि कोई कर्जधारक लगातार तीन महीने तक बैंक की किस्त नहीं चुका पाता और उसके लोन को NPA घोषित कर दिया जाता है, तो इससे कर्जधारक की CIBIL रेटिंग खराब हो जाती है। एक अच्छी CIBIL रेटिंग का होना कर्ज लेने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। अगर CIBIL रेटिंग खराब हो जाए, तो कर्जधारक को आगे किसी भी बैंक से लोन लेने में मुश्किलें होती हैं। यहां तक कि अगर किसी तरह लोन मिल भी जाए, तो उसे बहुत ज्यादा ब्याज दरें चुकानी पड़ सकती हैं।

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NPA की तीन श्रेणियां 🏷️

जब भी हम NPA के बारे में सुनते हैं, तो लोगों को लगता है कि बैंक की रकम डूब गई है। लेकिन ऐसा नहीं है। NPA घोषित करने पर बैंक को तीन श्रेणियों में विभाजित करना होता है:

  1. सबस्टैंडर्ड असेट्स (Substandard Assets): जब कोई लोन खाता एक साल तक सबस्टैंडर्ड असेट्स खाते की श्रेणी में रहता है, तो उसे डाउटफुल असेट्स कहा जाता है।
  2. डाउटफुल असेट्स (Doubtful Assets): जब लोन की वसूली की उम्मीद नहीं होती, तो उसे लॉस असेट्स कहा जाता है।
  3. लॉस असेट्स (Loss Assets): लोन की वसूली की उम्मीद न होने पर इसे लॉस असेट्स माना जाता है।

नीलामी की प्रक्रिया 🏘️

बैंक द्वारा लोन लेने वाले को लोन चुकाने के लिए पर्याप्त समय दिया जाता है। लेकिन अगर लोन लेने वाला व्यक्ति फिर भी कर्ज नहीं चुका पाता, तो बैंक उसे रिमाइंडर और नोटिस भेजता है। इसके बाद भी यदि ऋण लेने वाला व्यक्ति लोन का भुगतान नहीं करता, तो बैंक उसकी प्रॉपर्टी को कब्जे में लेता है और फिर नीलामी करता है। यानी लोन चुकाने के लिए बैंक कई मौके देता है, फिर भी न चुकाने पर प्रॉपर्टी की नीलामी करके लोन की रकम की भरपाई की जाती है।

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NPA का आर्थिक प्रभाव 📊

प्रभावविवरण
बैंक की सेहत पर असरएनपीए बढ़ना बैंक की वित्तीय स्थिति को कमजोर करता है।
कर्जधारक की साख पर असरCIBIL रेटिंग खराब होने से भविष्य में कर्ज मिलना मुश्किल हो जाता है।
ब्याज दरेंखराब रेटिंग के कारण उच्च ब्याज दरों पर लोन मिल सकता है।
संपत्ति की नीलामीबैंक द्वारा प्रॉपर्टी की नीलामी की जाती है।

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