Land Registration Kaise Hota Hai: जमीन खरीदना एक महत्वपूर्ण और महंगा सौदा होता है। इसलिए, जमीन खरीदने से पहले और रजिस्ट्री कराने के दौरान कुछ आवश्यक बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। यहां हम आपको जमीन की रजिस्ट्री की प्रक्रिया और इससे जुड़ी जरूरी जानकारी प्रदान कर रहे हैं।
क्या है रजिस्ट्री (Registry)? 📜
जब किसी प्रॉपर्टी का मालिकाना हक विक्रेता से क्रेता के पास ट्रांसफर किया जाता है, तो इस प्रक्रिया को रजिस्ट्री (Registry) कहा जाता है। आसान शब्दों में, जब मालिक के नाम को मूल दस्तावेजों से हटाकर उस पर क्रेता का नाम दर्ज किया जाता है, तो उसे रजिस्ट्री कहते हैं। यह प्रक्रिया कानूनी रूप से संपत्ति की सुरक्षा और अधिकार सुनिश्चित करने के लिए अनिवार्य है।
रजिस्ट्री की प्रक्रिया 🔍
- संपत्ति की मार्केट वैल्यू निर्धारण:
- रजिस्ट्री कराने से पहले संपत्ति की मार्केट वैल्यू को निर्धारित किया जाता है।
- मार्केट वैल्यू को क्रेता और विक्रेता मिलकर तय करते हैं।
- स्टाम्प पेपर खरीदना:
- मार्केट वैल्यू निर्धारित होने के बाद स्टाम्प पेपर खरीदा जाता है।
- इसमें बैनामा टाइप होता है, जिसमें प्रॉपर्टी के क्रेता और विक्रेता की पूरी जानकारी दर्ज की जाती है।
- रजिस्ट्रेशन:
- बैनामा तैयार होने के बाद रजिस्ट्रेशन कराया जाता है।
- इस प्रक्रिया के बाद रजिस्ट्रेशन नंबर प्राप्त होता है, जिससे रजिस्ट्री पूरी की जाती है।
- गवाहों की आवश्यकता:
- रजिस्ट्री करवाते समय दो गवाहों की जरूरत होती है।
- दोनों पार्टियों के जमीन से जुड़े दस्तावेजों के साथ पहचान संबंधित कागजात भी दिए जाते हैं।
- रजिस्ट्रार कार्यालय से पर्ची प्राप्ति:
- प्रक्रिया पूरी होने के बाद रजिस्ट्रार कार्यालय से एक पर्ची मिलती है, जिसे संभालकर रखना चाहिए। यह पर्ची इस बात का सबूत होती है कि आपकी रजिस्ट्री पूरी हो चुकी है।
जरूरी दस्तावेज और जानकारी 🗂️
- पहचान पत्र: आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर आईडी आदि।
- जमीन के दस्तावेज: जमाबंदी, खसरा-खतौनी आदि।
- गवाहों की पहचान: गवाहों के पहचान पत्र और संपर्क जानकारी।
संपत्ति की सच्चाई की जांच ऑनलाइन 🌐
प्रॉपर्टी खरीदते समय उसकी वास्तविकता को लेकर संदेह हो सकता है। ऐसे में आप ऑनलाइन तरीके से प्रॉपर्टी की सच्चाई की जांच कर सकते हैं। इसके लिए संबंधित राज्य की राजस्व विभाग की वेबसाइट पर जाएं और आवश्यक जानकारी दर्ज करें।