सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा में ग्रुप सी और डी की भर्ती के लिए संयुक्त पात्रता परीक्षा (सीईटी) नीति को मंजूरी दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि यह नीति नियमों के अनुसार बनाई गई है और इसके आधार पर हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (एचएसएससी) अपनी भर्ती प्रक्रियाओं को जारी रख सकेगा।
सीईटी नीति की धारा 9 (आई) को चुनौती दी गई थी
हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने इस नीति के तहत करीब 29 हजार पदों पर भर्ती प्रक्रिया पूरी कर ली है, जबकि करीब चार से पांच हजार पदों पर भर्ती प्रक्रिया अभी भी जारी है। कुछ अभ्यर्थियों ने सीईटी नीति की धारा 9 (आई) को चुनौती दी थी, जिसमें कहा गया था कि एक पद के लिए ग्रुप के हिसाब से चार गुना अभ्यर्थियों को बुलाया जाना चाहिए। इसके विपरीत कर्मचारी चयन आयोग कैटेगरी के हिसाब से अभ्यर्थियों को परीक्षा के लिए बुलाता है।
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सुप्रीम कोर्ट ने भी सीईटी नीति को बिल्कुल सही माना
हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, जिस पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर मुहर लगाते हुए याचिका खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा की सीईटी नीति को सही माना है और इस संदर्भ में कहा है कि संजीव कुमार बनाम हरियाणा सरकार व अन्य के इस मामले में कोई आधार नहीं है। ऐसे में कर्मचारी चयन आयोग अपनी भर्ती प्रक्रिया जारी रख सकता है।
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नीति के तहत ली जा चुकी हैं 9 परीक्षाएं
आयोग के चेयरमैन हिम्मत सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है। इस नीति के तहत कर्मचारी चयन आयोग ने 9 परीक्षाएं ली हैं, जिनमें करीब 90 हजार युवाओं ने भाग लिया। इस श्रेणी के करीब 33 हजार पदों में से 29 हजार पर भर्ती प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, जबकि चार हजार पर भर्ती प्रक्रिया जारी है।
हरियाणा के मुख्यमंत्री के पूर्व राजनीतिक सलाहकार भारत भूषण भारती का कहना है कि प्रदेश में भर्ती रोको गैंग का एक आखिरी प्रयास पूरी तरह विफल हो गया है। अब कर्मचारी चयन आयोग द्वारा सभी भर्तियां सुचारू रूप से जारी रखी जाएंगी।