मूंग में कब और कितनी सिंचाई करनी चाहिए? अच्छी ग्रोथ के लिए उर्वरक की मात्रा भी जानिए: मूंग की खेती के लिए दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। इसकी खेती चिकनी और बलुई दोमट मिट्टी में भी की जा सकती है, लेकिन इसके लिए जल निकास का अच्छा होना ज़रूरी है।
गर्मी और बसंत ऋतु में मूंग की फसल को 4 से 5 सिंचाई देना ज़रूरी होता है। पहली सिंचाई बुवाई के 20 से 25 दिन बाद और दूसरी सिंचाई 12 से 15 दिन के अंतराल पर करनी चाहिए। बारिश के मौसम में फसल की आवश्यकतानुसार सिंचाई करें।
मूंग एक प्रमुख दलहनी फसल है। इसकी फसल हर तरह के मौसम में उगाई जा सकती है। 60 से 75 सेमी वर्षा वाले क्षेत्र मूंग के लिए उपयुक्त होते हैं। फलियों के बनने और पकने के दौरान बारिश होने से दाने सड़ जाते हैं और काफी नुकसान होता है।
उत्तरी भारत में मूंग को बसंत ऋतु में भी उगाया जाता है। अच्छे अंकुरण और समुचित वृद्धि के लिए 20 से 40 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त होता है। किसान गर्मी के मौसम में भी इस समय मूंग की बुवाई कर सकते हैं।
मूंग जैसी दलहनी फसलों की बुवाई का फायदा यह है कि इससे खेत में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे दूसरी फसलों का उत्पादन भी अच्छा होता है।
मूंग की खेती के लिए दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। इसकी खेती चिकनी और बलुई दोमट मिट्टी में भी की जा सकती है, लेकिन इसके लिए जल निकास का अच्छा होना ज़रूरी है।
ग्रीष्मकालीन और बसंतकालीन मूंग की फसल में 4 से 5 सिंचाई देना ज़रूरी है। पहली सिंचाई बुवाई के 20 से 25 दिन बाद और दूसरी सिंचाई 12 से 15 दिन के अंतराल पर करनी चाहिए। फसल की सिंचाई वर्षा ऋतु की आवश्यकता के अनुसार करें।
वर्षा ऋतु की मूंग में जल निकास का उचित प्रबंध होना ज़रूरी है। फूल आने से पहले और दाने बनने के समय सिंचाई ज़रूरी है।
खेत की तैयारी
मुंग की बुवाई के लिए खेत से गेहूं की कटाई के बाद सिंचाई करे । लेकिन अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए खेत को एक बार हैरो चलाकर तथा समतलीकरण करके तैयार करना बेहतर होता है।
बीज दर
1. खरीफ – किस्म के आधार पर प्रति हेक्टेयर 12 से 15 किलोग्राम बीज।
2. वसंत और ग्रीष्म – प्रति हेक्टेयर 20 से 25 किलोग्राम बीज।
उर्वरक प्रबंधन
उर्वरकों का प्रयोग मिट्टी परीक्षण के आधार पर करना चाहिए। प्रति हेक्टेयर 10 से 12 टन कम्पोस्ट डालना भी आवश्यक है। मूंग की फसल को प्रति हेक्टेयर 15-20 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस, 40 किलोग्राम पोटाश और 20 किलोग्राम सल्फर की आवश्यकता होती है। जिसके लिए बुवाई के समय प्रति हेक्टेयर 190 किलोग्राम एनपीके (12:32:16) के साथ 23 किलोग्राम सल्फर बेंटोनाइट का प्रयोग करें।
E Ration Card Online Download 2024: जानिए ई राशन कार्ड के फायदे
जिंक की कमी होने पर क्या करें
कुछ क्षेत्रों में जिंक की कमी होने पर जिंक सल्फेट का प्रयोग 15-20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से करना चाहिए। फसल की जड़ों के विकास के लिए प्लांट ग्रोथ प्रमोटर सागरिका Z++ का 8-10 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से बुवाई के समय प्रयोग करें।
सागरिका लिक्विड का 250 मिली लीटर प्रति एकड़ की दर से 100 लीटर पानी में घोल बनाकर फूल आने से पहले, फूल आने के बाद और दाना बनने के दौरान 15 दिन के अंतराल पर छिड़काव करें।